Tuesday, March 15, 2011

बेर्टोल्ट ब्रेख्ट

हर चीज बदलती है
हर चीज बदलती है।
अपनी हर आखिरी सांस के साथ
तुम एक ताजा शुरुआत कर सकते हो।
लेकिन जो हो चुका,सो हो चुका।
जो पानी एक बार तुम शराब में
उंडेल चुके हो,उसे उलीच कर
बाहर नहीं कर सकते।

जो हो चुका,सो हो चुका है।
वह पानी जो एक बार तुम शराब में उंडेल चुके हो
उसे उलीच कर बाहर नहीं कर सकते।
लेकिन
हर चीज बदलती है।
अपनी हर आखिरी सांस के साथ
तुम एक ताजा शुरुआत कर सकते हो।

-बेर्टोल्ट ब्रेख्ट
अनुवाद- मोहन थपलियाल


जनरल तुम्हारा टैंक एक मजबूत वाहन है
जनरल तुम्हारा टैंक एक मजबूत वाहन है
वह रौंद डालता है जंगल को
और कुचल डालता है सैंकड़ों आदमियों को
लेकिन उसमें एक खराबी है-
उसे एक ड्राइवर चाहिए

जनरल तुम्हारा बम-वर्षक बहुत मजबूत है
वह हवा से तेज उड़ता है और ढोता है
हाथी से भी अधिक।
लेकिन उसमें एक खराबी है
उसे एक मिस्त्री चाहिए

जनरल आदमी कितना उपयोगी है
वह उड़ सकता है और मार सकता है
लेकिन उसमें एक खराबी है
वह सोच सकता है

- बेर्टोल्ट ब्रेख्ट
Posted by Rangnath Singh at 7:31 PM 12 comments
Labels: बेर्टोल्ट ब्रेख्ट
बृहस्पतिवार, ११ मार्च २०१०

डायलेक्टिक
महाशय ब जब लड़के थे, तब फ्रेंच की एक लिखित परीक्षा के सिलसिले में उन्हें तर्तिया जाना पडा। वहाँ पहुँचते ही परीक्षा शुरू हो गयी। उनका एक सहपाठी यही परीक्षा लातिन में दे रहा था।

उस सहपाठी ने अपनी कुछ गलतियाँ रगड़ कर साफ कीं और प्रोफेसर के पास जाकर नम्बर बढ़ाने की माँग की। लेकिन उसे अंक और भी कम कर दिए गए, क्योंकि जहाँ-जहाँ गलतियाँ रगड़ी गयी थीं,घिसट्टा पड़ने से वहाँ-वहाँ कागज छिछला पड़ गया था।

इस तरह की कारगुजारी के नुकसान से महाशय ब खूब परिचित थे । उन्होंने लाल स्याही ली,अपनी कापी पर कई सही जगहों पर भी गलतियों के निशान बनाए,और फिर प्रोफेसर के पास जाकर बोले

यहाँ क्या गलती है ? प्रोफेसर हैरान हो गए। लाल घेरों वाली जगहों सही थीं।

'प्रोफेसर यदि गलतियों को गिनने में ऐसी चूक करते हैं,तब निश्चित रूप से मेरे नम्बर बढ़ने चाहिए' - महाशय ब ने अपनी बात आगे रखी। इस तर्क के आगे प्रोफेसर झुक गए और महाशय ब के नम्बरों मे बढ़ोत्तरी कर दी गई।

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