उत्पीड़ित दुनिया

ब्लैक ,दलित ,आदिवासी ,अल्पसंख्यक , स्त्री अधिकारों व संघर्षों की दुनिया

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  • ▼  2011 (170)
    • ▼  July (3)
      • प्रमोशन और साहित्य का संकट
      • श्रमण संस्‍कृति का बौद्ध दर्शन ही वर्तमान समस्‍याओ...
      • दलित लेखक संघ- लेखक से मुलाकात कार्यक्रम में माता ...
    • ►  June (7)
    • ►  May (8)
    • ►  April (16)
    • ►  March (105)
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  • हिंदी वाणी...यानी हम सब की बात
    अली खान महमूदाबाद: संवैधानिक मूल्यों पर खतरा - - प्रताप भानु मेहता हरियाणा राज्य बनाम प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद केस आप जानते होंगे। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित स्तंभकार और विचारक प्रताप भानु प्रत...
    3 weeks ago
  • मुक्तिबोध
    お腹痛い コロナ対策!ホットな対処法は?100%効果あり! - [image: お腹痛い コロナ][image: お腹痛い コロナ] お腹痛い コロナに関する短いメタディスクリプションを作成します。 「お腹痛い コロナ」とは、新型コロナウイルス感染症による腹痛の症状を指す言葉です。予防や対策に注意しましょう。 お腹痛い コロナ。 みなさん、お元気ですか?最近、世界中...
    1 year ago
  • रेडियो वाणी
    'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद में - मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही होगी...शायद कभी...क्‍या पता। पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...
    2 years ago
  • समालोचन
    - एवलीन
    3 years ago
  • बना रहे बनारस
    Proofreading Tools - In the hurry to comply with time constraints and produce pamphlets, social duplicate, articles, and online journals for your numerous customers, it isn'...
    4 years ago
  • रचनाकार
    रचनाकार में पढ़ें अपने मनपसंद विषय की सैकड़ों रचनाएँ - - विश्व की पहली, यूनिकोडित हिंदी की सर्वाधिक प्रसारित, समृद्ध व लोकप्रिय ई-पत्रिका - रचनाकारमनपसंद विषय की रचनाएँ पढ़ने के लिए उस पर क्लिक / टैप करें -~ विधा...
    5 years ago
  • आज़ाद लब azad lub
    डोनाल्ड ट्रंप चुनाव भले हार जाएं लेकिन महाभियोग से बच निकलेंगे! - संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप भले ही बड़बोलेपन में कहते फिर रहे हों कि जब उन्होंने बुश वंश, क्लिंटन वंश और ओबामा को हरा दिया था तो ...
    5 years ago
  • असुविधा
    ऐनी सेक्सटन की कविताएँ : अनुवाद - अनुराधा अनन्या - पिछली सदी के आरम्भ में अमेरिका में के समृद्ध व्यापारिक घर जन्मीं* ऐनी सैक्सटन*, एक असाधारण कवयित्री हैं। उनकी कविताओं को confessional verse, स्टाइल की...
    5 years ago
  • कबाड़खाना
    मैं हंसते हंसते दम तोड़ देता अगर मुझे रोना न आता - अमित श्रीवास्तव की कविता - हेनरी रूसो की पेंटिंग 'हॉर्स अटैक्ड बाई अ जगुआर' अमित श्रीवास्तव की कविता की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह एक साथ अनेक परतों और आयामों पर काम करती जाती है - कई...
    6 years ago
  • नया जमाना
    गांधी का पुनर्पाठ-5- - असल में सत्याग्रह तो गांधी के समग्र राजनीतिक पाठ का मूलाधार है, उनके आंदोलन की समग्रभाषा और अंतर्वस्तु इसकेजरिए पढ़ी जा सकती है। इसके जरिए स्वाधीन...
    6 years ago
  • नारी , NAARI
    धारा ३७७ को यानी होमोसेक्सुअलिटी को अब क्रिमिनल ओफ्फेंस नहीं माना जायेगा। - कुछ समय से सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नए निर्णय लिये हैं या यूँ कहिये जजमेंट दिये हैं धारा ३७७ को यानी होमोसेक्सुअलिटी को अब क्रिमिनल ओफ्फेंस नहीं माना जायेगा। द...
    6 years ago
  • आलोचक
    शरद कोकास की लम्बी कविता 'देह' पर राजेश जोशी की चिठ्ठी - *इस दुनिया में जो कुछ भी घटता है ,वह इस देह पर ही घटता है .* इस केन्द्रीय विचार के साथ रची गई है लम्बी कविता 'देह' जो प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका 'पहल' क...
    7 years ago
  • निठल्ले की डायरी
    रामपुरा -2, अतीत के आईने में - रामपुरा का जो चेहरा मेरे मन में उभरता है, वह सिर्फ अपने अनुभवों पर ही आधारित नहीं है. अपने परिवार वालों, दोस्तों, बड़ों से सुने और पढ़े पहलुओं का भी इसमें ज...
    8 years ago
  • जानकी पुल
    गीत चतुर्वेदी के नए संग्रह से कुछ कविताएँ - इस साल पुस्तक मेले में एक बहु प्रतीक्षित कविता संग्रह भी आया. गीत चतुर्वेदी का संग्रह 'न्यूनतम मैं'. गीत समकालीन कविता के ऐसे कवियों में हैं जिनकी हर काव...
    8 years ago
  • सत्ताचक्र
    satta badali toh tathakathit CHORGURU prof anil k. rai 'ankit" ban gaya ABVP ka padadhikar - * sattachakra.blogspot.in* *sattachakra.blogspot.com * *MGAHVV,WARDHA ke tathakathit chorguru prof anil k.rai ankit kaa nayaa karnaamaa -* *cut-pest karak...
    8 years ago
  • जय बाबा बनारस ...पुरविया.
    दोस्ती - बचपन के निस्वार्थ दोस्त आजकल कहा मिलते है आज तो दोस्त बस अपने अपने स्वार्थ को पूरा करने तक ही रहते है अब कहा है ऐसे दोस्त की दोस्त के माथे पर आये हुए पसीन...
    10 years ago
  • नुक्कड़
    ‘खबर’ से ‘बयानबाज़ी’ में बदलती पत्रकारिता - मीडिया और खासतौर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया से ‘खबर’ गायब हो गयी है और इसका स्थान ‘बयानबाज़ी’ ने ले लिया है और वह भी ज्यादातर बेफ़िजूल की बयानबाज़ी. नेता,अभिनेता...
    10 years ago
  • मोहल्‍ला
    Mohalla Live - Mohalla Live ------------------------------ गाली-मुक्‍त सिनेमा में आ पाएगा पूरा समाज? Posted: 24 Jan 2015 12:35 AM PST सिनेमा समाज की कहानी कहता है और...
    10 years ago
  • मेरा सामान
    उसने उंगलियों पर गिनी चीजें - उसने उंगलियों पर गिनी चीजें। और एक और झोंका आया, ध‌ड़ से बजी खिड़की। बाल लहरा गए हवा में, उसने अपनी छाया देखी काँच पर। बालों की भी छाया। उसने एक घर देखा साम...
    10 years ago
  • कस्‍बा qasba
    जय श्रीराम -
    11 years ago
  • जिरह
    इतना भी बुरा नहीं यह वक्त, जितना सब कोसते हैं - इतना भी बुरा नहीं यह वक्त, जितना सब कोसते हैं कल की कल देखेंगे, हम तो बस आज की सोचते हैं बेफिक्र होकर तू सपने पाल, भर ले अपनी उड़ान पूरी अपनी जिद पर अड़े ह...
    11 years ago
  • आखर कलश
    खुद मुख्तार औरत व अन्य कविताएँ- देवयानी भारद्वाज - रोज गढती हूं एक ख्वाब सहेजती हूं उसे श्रम से क्लांत हथेलियों के बीच आपके दिए अपमान के नश्तर अपने सीने में झेलती हूं सह जाती हूं तिल-तिल हंसती हूं खि...
    11 years ago
  • दलित मत
    दलित मुद्दों पर मासिक पत्रिका "दलित दस्तक" 27 मई से आपके बीच - बहुत सहा, कुछ ना कहा; अब कहने की बारी है! दुनिया में अब ‘दलित दस्तक’ की हुई तैयारी है!! मित्रों, दरकिनार कर दिए गए लोगों के लिए अब फटकार कर सच बोलने का वक्...
    13 years ago
  • शब्‍द संसद
    इस थप्पड़ को यहां से देखो - शरद पवार पर थप्पड़ मारे जाने की घटना को मीडिया और कुछ राजनीतिक दलों ने महंगाई से जोड़ दिया। यह एक तरह से इस घटना का औचित्य साबित करने की कोशिश है। अन्ना ह...
    13 years ago
  • उत्पीड़ित दुनिया
    प्रमोशन और साहित्य का संकट - ------------------------------ - जगदीश्‍वर चतुर्वेदी वामपंथी चिंतक। कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय के हि‍न्‍दी वि‍भाग में प्रोफेसर। मीडि‍या और साहि‍त...
    13 years ago
  • जसम लखनऊ
    शमशेर, केदार व नागार्जुन जन्मशती समारोह "काल से होड़ लेती कविता " - *कौशल किशोर* शमशेर, केदार और नागार्जुन न सिर्फ प्रगतिशील आंदोलन की उपज हैं बल्कि ये हिन्दी की प्रगतिशील काव्यधारा के निर्माता भी हैं। इनका एक ही साथ जन्...
    14 years ago
  • पुनर्विचार
    देखते है - नाच - (अज्ञेय की कविता ' नाच ' पर एक बतकही.) एक तनी हुई रस्सी है जिस पर मैं नाचता हूँ। जिस तनी हुई रस्सी पर मैं नाचता हूँ वह दो खम्भों के बीच है। रस्सी पर मैं जो...
    14 years ago
  • अनहद
    मां : कुछ कविताएं - * मां* *एक* मां के सपने घेंघियाते रहे जांत की तरह पिसते रहे अन्न बनती रही मक्के की गोल-गोल रोटियां और मां सदियों एक भयानक गोलाई में चुपचाप रेंगती रही... *...
    14 years ago
  • शहर के पैगम्बरों से कह दो
    फुलल लाल लाल छ्युलरिया - सुनिए भोजपुरी का यह प्रगतिशील गीत सुनील की आवाज़ में –
    14 years ago
  • शहरोज़ का रचना संसार
    अनपढ़ क्यों हैं मुस्लिम औरतें - *तुमने अगर इक मर्द को पढाया तो मात्र इक व्यक्ति को पढाया। लेकिन अगर इक औरत को पढाया तो इक खानदान को और इक नस्ल को पढाया।* ऐसा कहा था *पैगम्बर हज़रत मोहम्म...
    16 years ago
  • हिंदीब्लॉगजगत
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  • जनपथ
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: http://oppressedworld.blogspot.com

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