बहुजन समाज को एक धागे में पिरोने का काम करने वाले कांशीराम जी के योगदान को जितना याद किया जाए, वो कम होगा. बहुजन समाज के हित के लिए प्रण लेने वाले कांशीराम जी ने समाज के हित के लिए घर-बार, मां-बाप, सबका मोह छोड़ दिया. दलित जिस उत्तर प्रदेश की सरकार को आज गौरव से निहारते हैं, उसको स्थापित करने का काम कांशीराम ने ही किया. उनकी जिंदगी पर एक नजर...... जन्म- 15 मार्च, 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के ख्वासपुर गांव में दलित (सिख समुदाय के रैदसिया) परिवार में हुआ. माता-पिता - बिशन कौर और हरी सिंह शिक्षा- स्नातक (रोपड़ राजकीय कालेज, पंजाब विश्वविद्यालय) नौकरी- डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) नौकरी के दौरान जातिगत भेदभाव से आहत होकर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, ज्योतिबा फुले और पेरियार के दर्श को गहनता से पढ़कर दलितों को एकजुट करने में जुटे. पंजाब के एक चर्चित विधायक की बेटी का रिश्ता आया लेकिन दलित आंदोलन के हित में उसे ठुकरा दिया. सबसे पहले बाबा साहेब द्वारा स्थापित पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सक्रिए सदस्य बनें. 1971 में पूना में आरपीआई और कांग्रेस के बीच गैरबराबरी के समझौते और नेताओं के आपसी कलह से आहत होकर पार्टी से इस्तीफा. बामसेफ -1964 में 6 दिसंबर 1978 को 'बामसेफ' का विधिवत गठन किया. कांशीराम का मानना था कि आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी नौकरी में पहुंचा वर्ग ही शोषितों का थिंक, इंटलैक्चुअल और कैपिटल बैंक यही कर्मचारी तबका है. दलितों की राजनीतिक ताकत तैयार करने में बामसेफ काफी मददगार साबित हुआ. दलितों को एकजुट करने और राजनीतिक ताकत बनाने का अभियान 1970 के दशक में शुरू किया. दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएस-4) - दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय को जोड़ने के लिए उन्होंने डीएस-4 का गठन किया. इसकी स्थापना 6 दिसंबर 1981 को की गई. डीएस-4 के जरिए सामाजिक, आर्थिक बराबरी का आंदोलन आम झुग्गी-झोपड़ी तक पहुंचाने में काफी मदद मिली. इसको सुचारु रूप से चलाने के लिए महिला और छात्र विंग में भी बांटा गया. जाति के आधार पर उत्पीड़न, गैर-बराबरी जैसे समाजिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता और बुराइयों के खिलाफ आंदोलन करना डीएस-4 के एजेंडे में रहे. डीएस-4 के जरिए ही देश भर में साइकिल रैली निकाली गई. बहुजन समाज पार्टी (बसपा)- 14 अप्रैल, 1984 को बसपा का गठन. सत्ता हासिल करने के लिए बनाया गया राजनीतिक संगठन. पे बैक टू सोसाइटी के सिद्धांत के तहत दलित कर्मचारियों को अपने वेतन का 10वां हिस्सा समाज को लौटाने का आह्वान किया. - बुद्धिस्ट रिसर्च सेंटर की स्थापना की. - कांशीराम जी की पहली ऐतिहासिक किताब 'द चमचा ऐज' (अंग्रेजी) 24 सितंबर 1982 को प्रकाशित हुआ. - 1991 में पहली बार यूपी के इटावा से 11 लोकसभा का चुनाव जीते. - 1996 में दूसरी बार लोकसभा का चुनाव पंजाब के होशियारपुर से जीते. - 2001 में सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर कुमारी मायावती को उत्तराधिकारी बनाया. -2003 में लकवाग्रस्त होने के बाद सक्रिय राजनीति से दूर चले गए. - 9 अक्टूबर, 2006 को हार्टअटैक, दिल्ली में अंतिम सांस ली. कांशीराम ने निम्नलिखित पत्र-पत्रिकाएं शुरू की---- अनटचेबल इंडिया (अंग्रेजी) बामसेफ बुलेटिन (अंग्रेजी) आप्रेस्ड इंडियन (अंग्रेजी) बहुजन संगठनक (हिन्दी) बहुजन नायक (मराठी एवं बंग्ला) श्रमिक साहित्य शोषित साहित्य दलित आर्थिक उत्थान इकोनोमिक अपसर्ज (अंग्रेजी) बहुजन टाइम्स दैनिक बहुजन एकता |
Thursday, March 17, 2011
बहुजन समाज के कांशीराम जी , एक नजर में..
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