दलित लेखक संघ में एक बार फिर से अवसरवाद और पदों की जंग दिखाई पड़ रही है एक दुसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है अपने अवसरवाद को दूसरो का अवसरवाद बताया जा रहा है कृपा करके इस पर धयान दें . जो लोग खुद को लोकतांत्रिक और दूसरो को अलोकतांत्रिक बता रहे है वे खुद के बारे में भी सोचें की वे क्या कर रहे है अनीता भारती जी ने सबको मेसेज किया की ९ जुलाई को दलेश का चुनाव होना है जिसका वेनु अभी तै नहीं है ये फैसला किस सभा या मीटिंग में तय हुआ, वो मीटिंग कब हुई तथा उसमे कौन लोग उपस्थित थे , इसकी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी है उन्हें यह जानकारी मुहया करानी चाहिए जिससे उनकी लोकतान्त्रिक पद्धति शो हो सके . ,जबकि लोकतान्त्रिक तरीके से १९ जून को काफी हाउस की मीटिंग में सर्वसम्मति से लिए गए फैसले को वे अलोकतांत्रिक बता रही है दुसरे वे आनन फानन बनी अपनी बनाई वेबसाइट दलित लेखक संघ में आंकड़ो का भ्रम भी फैला रही है , वे २९ may के आकडओं को २९ जून का Minutes बता रही है अब देखने और सोचने की बात यह है की वे ऐसा क्यों कर रही है देखे उनका आकडा, उनका सच -
http://www.dalitlekhaksangh.org/excerpts-from-minutes-of-dls-meeting-of-29th-june-2011.html
bilkul sahi likha hai sarvesh ji ye aapane.mukesh manas
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