Sunday, April 24, 2011

दो दलित महिलाओं को ट्रैक्टर से कुचला


हिसार. 21 अप्रैल 2010, बुधवार का दिन। मिर्चपुर कांड को एक साल बीतने से एक सप्ताह पहले, 13 अप्रैल 2011 बुधवार को ही मिर्चपुर के पड़ोसी गांव खेड़ी लोहचब में दलित उत्पीड़न की एक और घटना घट गई। पुलिस एक बार फिर कटघरे में है। मिर्चपुर प्रकरण की तरह पुलिस ने पहले इस वारदात दबाने की कोशिश की।

न तब न अब, फौरन एक्शन नहीं लिया पुलिस ने

21 अप्रैल 2010 नारनौंद के मिर्चपुर गांव में दो समुदाय के झगड़े में अग्निकांड हुआ। इससे दो दिन पहले छोटी सी बात पर दोनों गुटों में झगड़ा हुआ था। इसमें सरपंच की भी पिटाई हुई थी। मामला पहले ही पुलिस के पास जा चुका था। पुलिस ने दो दिन पहले ही शुरुआती कार्रवाई की होती तो शायद न दलितों के घर जलाए गए होते न ही बाप-बेटी की हत्या होती।

पुलिस के चुप बैठने का ही नतीजा बाद में सरकार और प्रशासन के सामने आया है। इसी प्रकार खेड़ी लोहचब में दो समुदाय के बीच 13 अप्रैल की घटना पर किसी तरह एफआईआर तो दर्ज कर ली गई, मगर वारदात के चार दिन बाद एक गिरफ्तारी की गई।

थाने पहुंची घायल महिलाओं को अस्पताल नहीं पहुंचाया

बुधवार को खेड़ी लोहचब में हुई घटना में पीड़ित सतबीर के अनुसार वे अपनी भाभी सुशीला (35) और अपने भतीजे तिलकराज की पत्नी मुकेश देवी (30) को घायलावस्था में पुलिस थाने में ले गए। पुलिस ने शिकायत सुनने के बाद मामला दर्ज करना तो दूर घायलों को अस्पताल में दाखिल कराने की भी जहमत नहीं उठाई।

जान बची मगर जीना मुश्किल

ट्रैक्टर से कुचल दी गई सुशीला की जान तो बच गई है, मगर वह अपने बिस्तर से उठ नहीं पा रही है। उसकी रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में गहरी चोट है। उसकी देखभाल कर रहे भतीजे राममेहर का कहना है कि डॉक्टर भी नहीं बता पा रहे हैं कि चाची दुबारा ठीक से चल भी पाएगी।

हमें शिकायत सिर्फ एक आदमी के खिलाफ मिली : एसपी

एसपी हनीफ कुरैशी का कहना है कि पुलिस के पास सिर्फ एक आदमी के खिलाफ शिकायत आई है, हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। लापरवाही बरतने पर खेड़ी चौकी प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया है।

13 अप्रैल 2011

खेड़ी लोहचब में सुशीला (28) और उसके भतीजे के बहू मुकेश कुमारी (25) बुधवार को गांव के ही रामनिवास के खेतों पर गेहूं काटने गई थीं। रोहतक पीजीआई में भर्ती सुशीला ने बताया कि खेत मालिक का भतीजा रामविलास बिल्लू खेत में आया और उन्हें अकेला पाकर बदतमीजी करने लगा। उसने विरोध किया तो बिल्लू उस समय भाग गया। थोड़ी देर बाद वह कई युवकों के साथ आया। वे भागने लगीं तो बिल्लू ने उन पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया।

सुशीला के देवर सतबीर ने आरोप लगाया कि नारनौंद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी की। बमुश्किल रिपोर्ट लिखी भी मगर घायलों को अस्पताल भेजने में दिलचस्पी नहीं ली। वे खुद दोनों महिलाओं को अस्पताल ले गए। हांसी और हिसार के डाक्टरों के कहने पर उसी रात वे उन्हें रोहतक पीजीआई ले गए। दोनों महिलाओं के पैर बुरी तरह कुचले गए हैं।

चार दिन बाद पकड़ा आरोपी

दलित परिवार एसपी से मिले तो चार दिन बाद खेड़ी चौपटा चौकी प्रभारी बेद सिंह को लाइन हाजिर कर एक आरोपी बिल्लू को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़ित परिवारों ने बताया कि बिल्लू के साथ और युवक भी शामिल थे, जिन्हें पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है।

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